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आंख ( Eye ), कान ( Ear ), नाक ( Nose ) और गला ( Throat ) :-

1. Poor Vision (कमजोर दृष्टि):-

अर्थात आंखों की कमजोरी के कारण कम दिखना है अथवा धुंधला दिखाई देना।

कारण:

  1. उम्र भरना 
  2. आंखों में चोट लगना 
  3. लेंस खराब होना 
  4. कॉर्निया या ऑप्टिक्स नर्व में किसी तरह की समस्या पैदा होना 
  5. शरीर में पोषक तत्व की कमी

लक्षण:

बार-बार आंखें झपकाना, दूर की चीजें देखने पर आंख में तनाव और थकान महसूस होना, ड्राइविंग करने में परेशानी आना खासकर रात के समय में, सिरदर्द, पलकों को सिकुडकर देखना, आंखों से पानी आना ।

घरेलू उपचार:

 आंखों को दिन में दो बार ठंडे पानी से धोना चाहिए, पढ़ते समय रोशनी का विशेष ध्यान रखना चाहिए,  घुल, प्रदूषण एवं तेज धूप से आंखों को बचाना चाहिए, बहुत देर तक लगातार पढ़ना या कंप्यूटर पर काम करने के कारण आंखों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है इसलिए कुछ देर के अंतराल में आंखों को बंद करके आराम देना चाहिए, संतुलित आहार विशेषकर दूध, फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए, गाजर एवं आंवले का नियमित सेवन करना चाहिए ।

आयुर्वेदिक उपचार :

  1. आमलाकी रसायन 
  2. सप्तामृत लौह 
  3. गिलोय सत्व 
  4. महात्रिफलादी घृत से तर्पण ।

2. Conjunctivitis ( आंख आना ):-

आंख आना या नेत्र शोथ आंख के सफेद भाग की बाहरी सतह और पलक के आंतरिक भाग की सूजन हो जाती है । इसमें आंख लाल या गुलाबी दिखाई देती है ।

कारण:

बैक्टीरिया या वायरस संक्रमण, एलर्जी होना, जलन करने वाले पदार्थ का ज्यादा इस्तेमाल, लेंस या आई ड्रॉप्स के कारण नेत्र प्रभावित होकर लालिमा युक्त हो जाते हैं ।

लक्षण:

  1. आंख में लालिमा
  2. खुजली
  3. जलन
  4. पलकों का सुबह मैं चिपकना
  5. आंखों से मवाद आना ।

आयुर्वेदिक उपचार:

कुछ मामलों में यह समस्या बिना उपचार के ठीक हो जाती है परंतु कुछ मामलों में इलाज कराना पड़ता है ।

पुनर्नवासव, त्रिफला चूर्ण, किशोर गूगल खाने के लिए वे त्रिफला क्वाथ और मंजिष्ठ क्वाथ आंखों में डालने के लिए प्रयोग करें ।

सावधानी:

आंखों को गंदे हाथों से ना छुएं, दिन में ना सोना, अपनी वस्तुएं दूसरों से ना बांटना, अधारणीय वेग को धारण ना करना आदि।

3. Eye Allergy (आंखों में एलर्जी ):-

आंखों में एलर्जी को एलर्जी कंजेक्टिवाइटिस भी कहते हैं ।

कारण:

आंख में जलन करने वाले पदार्थ जैसे धूल, धुआं आदि, बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण से, प्रतिरक्षा तंत्र के खराब होने से।

लक्षण -

आंखो से पानी आना, खुजली, लालिमा, दर्द, सूजन और आंख में चुभन महसूस होने लगती है । आंखों में खुजली होना आग आंखों की एलर्जी एक मुख्य लक्षण है ।

घरेलू उपचार-

  1. ठंडी सिखाई 
  2. चेहरे को धोएं
  3. कच्चा शहद 
  4. टीबैग्स 
  5. गुलाब जल 
  6. खीरे की स्लाइस

आयुर्वेदिक उपचार-

महात्रिफला घृत, त्रिफला चूर्ण, हरिद्रा खंण्ड, पटोलआदि घृत ।

4. Acute suppurative otitis media and chronic suppurative otitis media ( कान का संक्रमण ) :-

यह एक मध्य कान की सूजन संबंधी एक बीमारी का समूह है। यह शारीरिक रचना और प्रतिरोधक प्रणाली से संबंधित है। यह बीमारी बच्चों में बेहद आम है व कान मे दर्द के साथ शुरू होता है।

कारण :

श्वसन संक्रमण के बैक्टिरियल व वायरल संक्रमण को ही इसका कारण पाया गया है। एलर्जी से भी संभवत संक्रमण कान में हो सकता है।

लक्षण :

कान में दर्द, कान से स्राव होना, कान में सुनाई ना देना, अतिसार, चिड़चिड़ापन आदि इसके मुख्य लक्षण पाए जाते है।

आयुर्वेदिक उपचार:

कान को डालने के लए वचा लसून आदि तेल, श्रार तेल, तुलसी वरस । खाने के लए सूरसआदि चूर्ण, रस माणिक्य, हरा खण्‍ड, सरिवादी वटी।

सावधानी :

कान को प्रतिदिन क्वाथ द्वारा साफ करे, स्वच्छ पानी का इस्तेमाल करे।

5. Tinnitus (कान बजना) :-

बाहर कोई ध्वनि न हो तब भी कान में कुछ सुनाई पड़ना कान बजना या कर्णक्ष्वेण (Tinnitus) कहलाता हैं।

कारण:

कान का इन्फेक्शन,साइनस इन्फेक्शन,मैल जमा होने के कारण कानो का बंद होना, शोर भरी आवाजों के लगातार संपर्क में आना, शोर भरी आवाज के अचानक संपर्क में अना,सर या गर्दन की चोट, ऐण्टि डिप्रैसैण्ट दवाओं, के दुष्प्रभाव, अत्यधिक तनाव एवं थकान, शरब या  पेय पदार्थ का अत्यधिक सेवन तथा सिगरेट पीना टिन्निटस के मरीज़ की हालत को बिगाड़ सकते हैं, माइग्रेन का सरर्दद। 

लक्षण -

टिन्निटस से ग्रसित मरीज इसका वर्णन अक्सर लगातार या रह-रह कर गूंजने की, सीटियाँ बजने की, चहचहाने की या फ़ुफ़कारने की ध्वनियों के रुप में कहते हैं।

बचाव के उपाय :

टिनिटस बीमारी से बचाव के लिए सबसे पहले आपको अपने कानों की सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। साथ ही आपको तेज आवाज में गाना सुनने से बचना चाहिए। साथ ही समय-समय पर अपने कान साफ कराते रहें।

उपचार -

टिनिटस की बीमारी मे आयुर्वेद में बिल्वादि तेल और सारिवादि वटी का बहुत अच्छा प्रभाव है।

6. Deviated Nasal Saptam :-

(Deviated septum) में सरक कर एक तरफ विस्थापित हो जाता है। जिससे एक और का नाक का छिद छोटा या बंद हो सकता हैं। स्थिति कभी-कभी इतनी गंभीर हो जाती है कि नाक से ब्लीडिंग भी होने लगती है।

लक्षण:

एक या दोनों नथुने की रुकावट, दर्द, खराटे, नाक से खून अना, सोते समय आवाजें अना।

क्यों हो जाता है डेविएटेड सेप्टम –

यह समया तब होती है जब आपकी नाक के छिद्रों को विभाजित करने वाली बीच की झिलली की एक तरफ सरक जाती है। इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं – जन्मजात, नाक के चोट से, Rhinitis से

आयुर्वेदिक उपचार :

DNS की मे आयुर्वेद में लक्ष्मी विलास रस, महालक्ष्मी विलास रस, हरिद्रा खंड, चित्रक हरीतकी, अणु तेल, षडबिंदु तेल जैसी प्रभावशाली औषधियां उपलब्ध है।

7. Allergy RHINITIS ( नजला रोग ):-

(Allergy RHINITIS) नजला रोग एक ऐसा रोग है जसमे मरीज को लगातार नाक से पानी आता है, छींके और कफ जैसी परेशानी होने लगती है। नजला एक बहुत भयकंर बीमारी का रूप ले सकता है अगर इसका इलाज ठीक समय पर और सही जगह नहीं कराते है तो, हर 8 में से1 को पुराने नजलेक समया होती है। 

कारण:

मौसम परिवर्तन, प्रदूषण,शरीर पर आते हूए पसीने पर स्नान करना,पसीने आने पर ठंडा पानी पीना,धुल मिट्टी के कणो का नाक में चला जाना, जेनेटिक बमारी जोकि हमारे माता या पता से मिली हो,राइनोवायरस इसका सबसे आम कारण है वायरल इन्फेकसन इसका एक मुख्य कारण है। 

लक्षण :

नाक से पानी आना ,गाढ़ा बलगम, छींक आना, कान में आवाज आना,सिरदर्द रहना, गले में सुखी खांसी, नाक की हड्डी बढ़ना, नाक बदं रहना, गला बठैना यादर्द होना ,दम फूलना,खांसी, बाल का झड़ना और सफ़ेद होना,बुखार आना ,सुंघने व स्वाद की श्रमता खत्म होना।

आयुर्वेदिक उपचार:

  • नजला जुकाम के बचाव के लिए सबसे जरुरी अपनी इम्युनिटी मजबतू करना है। 
  • आयुवेद में पुराने से पुराने नजले जुकाम के लिए लक्ष्मी विलास रस , हरिद्रा खंड ,चित्रक हरीतकी, षडबिंदु तेल, अणु तेल जैसी प्रभावशाली औषधयां उपलब्ध है 
  • रोजाना दो–तीन चम्मच च्यवनप्राश का सेवन कर। 
  • दूध में हल्दी और शिलाजीत डालकर रोजाना पिए।
  • भस्त्रीका प्राणायाम कफ और सर्दी–जुकाम की समयस्या में काफी कारगर हो सकता है। 
  • सुबह खाली पेट दो चम्मच आवंले, एक चमच गिलोय और एक चम्मच शहद का रस मिलाकर हर रोज लें। 

घरेलू उपचार:

  • अदरक और गड़ु का काढ़ा, शहद और अदरक का रस एक–एक चम्मच मिलाकर सुबह–शाम पीने से नजले में फायदा आता है। 
  • देसी गाय के शुद्ध घी से भी नजला में काफी आराम मिलता है। ऐसे में रोगी को उस गाय का घी लेना है जिसकी पीठ पर हम्प होता है यह घी आपको लगातर तीन महीने डालना है यह दस से ज्यादा साल पुराने नजले को भी खम कर देता है।

8.Nasal Polyp ( नाक में गाठं ) :-

नाक के भीतर नेजल पैसेज या साइनस में कोमल, बना दर्द वाली, गैर कैंसर वाली गांठ को नेजल पॉलिप्स कहा जाता है।

कारण :

अस्थमा, इंफेक्शन के दोबार होने, एलर्जी, दवा के प्रति संवेदनशीलता या कुछ इम्यून सिस्टम की बीमारियो की वजह से नेजल पॉलिप्स होती है।

लक्षण:

सांस लेने मे परेशानी, और बार-बार इंफेक्शन होने की परेशानी हो सकती है, सूंघने की शक्ति कम होना यान होना, स्वाद पहचानने की शक्ति खत्म होना, चेहरे या सिरदर्द, ऊपरी दांतो मे दर्द।

सावधानियां :

अस्थमा को कंट्रोल में रखना।
नाक में जलन पैदा करने वाले पदार्थो से बचना, अच्छी हाइजीन की आदते अपनाना।

आयुर्वेदिक उपचार:

  1. हल्दी वाला दूध,
  2. खाने में मगरम मसाले का प्रयोग,
  3. सफाई रखना
  4. हरिद्रा खण्ड,
  5. षडबिंदू तेल की बूंद नाम मे डालना।

9. TONSILITIS ( टॉसस ) :-

जब टाँन्सिल्स में कीसी भी प्रकार का संक्रमण होता है तो इनके आकार में बदलाव और सूजन आ जाती है। इसेटॉसलाइटस(Tonsillitis) कहते है।

कारण:

  • वायरल इन्फेक्शन (कॉमन कोल्ड) के कारण।
  • इसके अलावा Staphylococcus Aureus, Mycoplasma Pneumonia है।
  • इन्फ्लुएंजा के कारण टाँन्सिल होता है, जसे फ्लू कहा जाता है।
  • रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से। 

लक्षण :

  • नगलने में कठनाई व दर्द
  • गले में दर्द (गला खराब होना) 
  • बुखार व ठंड लगना
  • टाँन्सिल में पस दखाई देना
  • जबड़े के नीचे की ग्रंथियो में सूजन
  • थकान महसूस होना
  • सिरदर्द रहना
  • मुंह से बदबू आना
  •  मुंह का स्वाद बिगड़ जाना 

घरेलू उपाय :

  • नमक के पानी से गरारा करें। इससे सूजन कम होती है।
  • अदरक के रस को शहद के साथ मिलाकर चाटने से सूजन तथा दर्द से आराम मलता है।
  • गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर रात में सोने से पहले सेवन करें।
  • फिटकरी के पाउडर को पानी में उबालकर गरारा कर।
  • पानी में 4-5 लहसुन डाल कर उबाल लें। इस पानी से गरारा करें। यह सूजन और जलन से आराम दलाता है।

आयुर्वेदिक उपचार:

आयुर्वेद में टॉन्सिल्स के लिए टंकण भस्म, सोम योग, सफटका भस्म, चित्रकहरीतक जैसी प्रभावशाली औषधियां उपलब्ध है।

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