Thyroid, Obesity, Diabetes, Cancer Treatment:-
1. मधुमेह ( Diabetes ) :-

डायबिटीज का आजीवन रहने वाली बीमारी है जब व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से काम नहीं कर पाती है|
मधुमेह का प्रकार:
आमतौर पर डायबिटीज तीन प्रकार के होते हैं|
- टाइप 1 डायबिटीज
- टाइप 2 डायबिटीज
- जेस्टेशनल डायबिटीज जो कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या
मधुमेह का कारण:
- इंसुलिन की कमी
- परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज होना
- बढ़ती उम्र
- एक्सरसाइज ना करने की आदत
- हारमोंस का आसंतुलन
- खानपान की गलत आदतें आदी
आयुर्वेद कैसे मदद करता है?
इसमें आयुर्वेदिक औषधि द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट के लाभ मिल सकता है
- प्रेमहांतक वटी
- गोक्षुरादि गुग्गुलू
- मेहमूदगार रस
- चंदप्रभा वटी, शिला जीत्वादी वटी शुद्ध शिलाजीत जैसी औषधिया डायबिटीज के अंदर अत्यंत प्रभावशाली हैं
2. HYPOTHYROID ( हाइपोथायराइड ) और HYPERTHYROID ( हाइपरथायराइड ):-

थायराइड कोई रोग नहीं है बल्कि यह ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से यह रोग होता है । लेकिन आम भाषा में लोग इस समस्या को भी थायराइड ही कहते हैं | थायराइड एक तरह की ग्रंथि होती है जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है | एक तितली की आकार की ग्रंथि है I यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रण करती है । भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है थायराइड को साइलेंट किलर भी कहते है |
अगर गर्भावस्था के दौरान मां को थायराइड समस्या है तो बच्चे को भी थायराइड की समस्या हो सकती है ।
कारण:
तनाव , रजोनिवृत्ति , गर्भावस्था , ग्रेव्स रोग , आयोडीन की कमी , शराब और सिगरेट का सेवन , दवाओं का साइड इफेक्ट्स , हाशिमोटो रोग, ग्वाइटर रोग , सोया उत्पाद आदि ।
लक्षण :
- शरीर सुस्त रहना
- आंखों में लाल पन और सूखापन
- डिप्रेशन में रहने लगना
- कमजोर होना
- दिल की धड़कन तेज होना
- जल्दी थकान
- वजन कम होना
- सांस फूलना
- दिल की धड़कन तेज होना
- नींद कम आना
आयुवैदिक इलाज :
थायराइड के इलाज के लिए आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुलु वृद्धिवाधिका वटी वरुणादि क्वाथ आदि चमत्कारी औषधियां उपलब्ध है।
क्या खाएं:
लौकी का जूस , त्रिफला चूर्ण , अश्वगंधा क्वाथ |
घरेलू नुस्खे :
- दूध में हल्दी मिलाकर पिए
- भोजन में काली मिर्च का सेवन करें
- पानी में हरा धनिया मिलाकर पिए
- काफी, चीनी, गोभी ,सोया आदि का सेवन ना करें
3. Obesity (मोटापा ):-

जब व्यक्ति का वजन सामान्य वजन से अधिक हो जाता है या जरूरत से ज्यादा शरीर में फैट जमा हो जाता है उसे मोटापा कहते हैं ।
कारण:
- तेलिया पदार्थ का अधिक सेवन करना
- पर्याप्त नींद न लेना
- शारीरिक रूप से निष्क्रियता
- आसीन जीवन शैली
- तनाव चिंता
- कुछ दवाएं जैसे कुछ एंटीडिप्रेसेंट और कॉटिकोस्टेराइड
लक्षण :
- सांस फूलना
- पसीना आना
- ज्यादा या कम सोना
- थोड़ा सा चलने पर सांस में रुकावट पैदा होना
- वास जमुना
- आत्मसम्मान , आत्मविश्वास की कमी
आयुवैदिक इलाज :
इसमें आयुर्वेद औषधि में पंचकर्म द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट के लाभ मिल सकता है ।
- लेखन बस्ति
- मेदोहर गुग्गुल
- रुक्ष द्रव्यो से अभ्यंग
- चित्रकादि वटी
बचाव :
- पैदल चलना
- तैरना
4. Cancer ( कैंसर ):-

कोशिकाओं के असाधारण रूप से बढ़ने के विचार को कैंसर कहा जाता है इस रोग में कोशिकाएं अनियंत्रित और अव्यवस्थित रूप से बढ़ने लगती है जो शरीर के सामान्य विकास प्रणाली का हिस्सा नहीं होती है ।
कारण:
देश में सबसे ज्यादा मुंह , ब्रेस्ट, सर्वाइकल फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर के मामले देखने को मिलते हैं जिसमें 60 परसेंट केस मुह ब्रेस्ट एवं गर्भाशय कैंसर के होते हैं वही किसी भी व्यक्ति के शरीर में कैंसर कई कारणों से होता है हालांकि कुछ कारण ऐसे हैं जो कैंसर होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं धूम्रपान सिगरेट या बीड़ी पीने से मुंह गले फेफड़े पेट और मूत्राशय का कैंसर होने की संभावना होती है तंबाकू पान सुपारी पान मसाला और गुटखा खाने से मुंह जीव खाने की नली पेट गले गुर्दे और अग्नाशय का कैंसर होता है शराब पीने की वजह से श्वास नली भोजन नली और तालु में कैंसर होने की संभावना होती है धीमी आंच व धुंए में पके भोजन का सेवन करने से बड़ी आंतों का कैंसर होता है लगातार और बार बार घाव पैदा करने वाली समस्या की वजह से त्वचा , जीभ , होठ , गुर्दे , पित्ताशय का कैंसर होता है।
लक्षण :
शरीर का वजन अचानक से कम या ज्यादा होना थकान और कमजोरी महसूस होना त्वचा के किसी हिस्से में बार-बार नीला पढ़ना त्वचा के नीचे गांठ महसूस होना लगातार एक महीने से खांसी या सांस लेने में कठिनाई होना त्वचा में बदलाव होना त्वचा मे जल्दी निशान पड़ जाना पाचन रोग जैसे दस्त या कब्ज होना निगलने में कठिनाई होना भूख कम लगना आवाज में बदलाव होना बार बार बुखार होना रात को पसीना आना मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना घाव के ठीक होने की प्रक्रिया धीमे होना बार बार संक्रमण होना
आयुर्वेदिक उपचार आयुर्वेद में कैंसर के इलाज के लिए कैंसर गजकेसरी रस हीरक भस्म कांचनार गुग्गुल वृद्धिवाधिका वटी जैसी चमत्कारी औषधियां उपलब्ध है कैंसर के इलाज में रोगी की इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया जाता है ।
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