Spine & Joint Pain

रीढ़ और जोड़ों का दर्द (Spine & Joint Pain)

1. Cervical Spondylosis (सर्वाइकल पेन)

सर्वाइकल स्पोंडीलोसिस अर्थात् सर्वाइकल दर्द जो गर्दन की हड्डियों में होता है। यह उम्र के साथ या बिना उम्र के भी हो सकता है । पुराने समय में सर्वाइकल सिर्फ बुढ़ापे अर्थात् पच्चास वर्ष से अधिक आयु के लोगो में पाया जाता था, किन्तु आजकल की बदलती जीवनशैली के कारण यह किसी भी आयु वर्ग में हो सकता है।

यह उम्र से संबंधित ऐसी स्थिति है जिससे गर्दन की हड्डियों में सूजन और दर्द होता है ।

कारण:

    • सर्वाइकल उन लोगों में अधिक होता है जो एक स्थान पर बैठकर अधिक देर तक काम करते हैं तथा गर्दन को एक तरफ झुका कर रखते हैं।
    • भारी वजन उठाना या झुककर काम करना |
    • गर्दन पर कोई चोट लगना |
    • रीढ़ की कोई सर्जरी होना |

लक्षण:

  • जकड़ाहट होना |
  • सिर के पिछले हिस्से में दर्द होना |
  • कंधो या बाजुओं में सुन्नपन होना |
  • सिर में दर्द |
  • भारीपन |
  • चक्कर आना या जी मिचलाना |

आयुर्वेदिक चिकित्सा:

  • महावात विध्वंसक रस
  • महायोगराज गुग्गुल
  • दशमूल क्वाथ
  • घरेलू नुस्खे:

    • दर्द के स्थान पर तिल तेल से मालिश करना
    • हल्दी दूध का सेवन करना
    • रोज 2-3 लहसुन कलियों का सेवन करना
    • गाय के घी का रोज सेवन करना
    • 1 चम्मच एरंड तेल का रोज दूध में मिलाकर सेवन 
    • हॉट कोल्ड थेरेपी करें। – पहले धीरे धीरे 20 मिनट तक आईस पैक से सेक करना तथा उसके पश्चात 20 मिनट तक गरम सिकाई

    सावधानियां:

    • अधिक देर तक एक स्थान पर नही बैठना ।
    • तकिए का प्रयोग न करना

    2. Sciatica:-

    वह रोग जिसमे कमर की नसों (Sciatic nerve) पर दबाव पङने से व्यक्ति को एक तरफ के पैर मे पीठ के निचले हिस्से से पैर की अंगुलियों तक दर्द महसूस होता है।

    कारण:

    अधिक व्यायाम करना, अधिक चलना, अधिक ठंडी हवा लगना, रात को जागना, कठोर आसन पर बैठना आदि |

    लक्षण:

    • पैरो मे शुन्यता होना
    • कूल्हे, जांघो, घुटने और पैरो तक दर्द का होना
    • सूई के चुभने जैसी पीड़ा होना
    • पैरो मे जकड़न होना
    • पैरो को मोङने पर दर्द महसूस होना ।

    आयुर्वेदिक चिकित्सा:

    इसमे आयुर्वेद औषधि व पंचकर्म द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट्स के लाभ मिल सकता है।

    आयुर्वेद मे गृध्रसी के लिए निम्नलिखित योग बताए गए है।

    • रास्नादि गुग्गुलु
    • महायोगराज गुग्गुल
    • दशमूलारिष्ट
    • एरण्ड स्नेह

    मालिश – सैन्धवादि तैल के द्वारा धीरे-धीरे मालिश करनी चाहिए

    रोगी को तख्त पर सोना चाहिए।

      • योग
      • शवासन
      • सुखासन

    3. Ligament tear (ACL, PCL , COLLETERAL, LIGAMENT INJURY) :-

    जब बाहरी कारण (जैसे पैर मुड़ना चोट लगना आदि) से लिगामेंट में आघात हो जाता है उसे लिगामेंट टियर कहते हैं

    कारण:

    1. पैर मुड़ना 
    2. खेल में चोट लगना 
    3. जोड़ों में चोट लगना

    आयुर्वेद चिकित्सा :

    इसमें आयुर्वेद औषधि व पंचकर्म द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट के लाभ मिल सकता है –

    1. अभ्यंग 
    2. पत्र पिण्ड स्वेद 
    3. स्थानिक वस्ति
    4.  लेप आदि

    आयुर्वेदिक इलाज :

    •  लिगामेंट इंजरी के इलाज के लिए आयुर्वेद में महायोगराज गूग्गल , सुरंजन , प्रवाल पिष्टी ‘. गिलोय सत्व जैसी अत्यंत गुणकारी औषधि उपलब्ध है ।

    घरेलू नुस्खे :

    1. मालिश करना |
    2. दूध में हल्दी मिलाकर पीना |
    3. जोड़ों पर ठंडा व गर्म पैक लगाना |

    क्या खाएं :

    1. हरी सब्जियां
    2. फल
    3. दूध का सेवन 
    4. मांसरस

    4. Rheumatoid arthritis:-

    रूमेटाइड आर्थराइटिस को सामान्य भाषा मे गठिया कहा जाता है। यह पुरुषो की तुलना में महिलाओ मे अधिक पाया जाता है।

    रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है जो जोड़ो में दर्द, सूजन और जकड़न का कारण बनती हैं। यह एक आटोइम्यून बीमारी है जिसमे शरीर की इम्यूनिटी स्वस्थ कोशिकाओं को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं। 50-60 से अधिक उम्र के लोगों में इसका खतरा सबसे अधिक होता है।

    कारण:

    • अधिक तला हुआ, मसालेदार भोजन खाने से
    • अधिक ठंडा भोजन खाने से
    • दही – उड़द की दाल का सेवन करने से
    • अधिक व्यायाम करने से
    • दिन मे सोने से।

    लक्षण:

    • अंगो मे दर्द
    • बुखार होना
    • अधिक प्यास लगना
    • शरीर में भारीपन
    • जोड़ो मे सूजन
    • भोजन का न पचना
    • कमर दर्द होना
    • उठने-बैठने, चलने-फिरने मे कष्ट कम भूख लगना

    आयुर्वेदिक चिकित्सा:

    आयुर्वेदिक औषधियों और पंचकर्मा से काफी हद तक रूमेटॉयड आर्थराइटिस की बीमारी में बिना किसी साइड इफेक्ट के आराम मिल सकता है।

    आयुर्वेद मे आमवात के लिए निम्न-निम्न योग बताए है।

    • वातगजांकुश रस
    • एरंड तेल (1 चम्मच) with milk
    • महारास्नासप्तक क्वाथ
    • दशमूल क्वाथ
    • कूपी पक्व रसायन

    घरेलू नुस्खे:

    ठंडा सेक:- आइस पैक की मदद से दर्द व सुजून मे राहत पा सकते है, इसके लिए रोजाना 30 मिनट ठंडा सेंक करें।

    मालिश: मालिश आपकी मांसपेशियो और जोड़ो के दर्द में राहत का कार्य करती है, मालिश के लिए महानारायण तेल का प्रयोग कर सकते है।

    अदरक अजवाइन, सौंफ, हींग, लहसुन, जीरा, एरण्ड तेल का उपयोग करें।

    5. Osteoarthritis (संधिगत वात) (गठिया):-

    संधिगत वात एक ऐसा रोग है जिसमे जोड़ो में दर्द वा सूजन होने से चलने में तकलीफ होती है। इसमें जोड़ो के बीच पाए जाने वाला द्रव पदार्थ सूख जाता है जिससे उनमें रगड़ होने लगती है। इसमे चलते वक्त जोड़ो में कट कट की आवाज आती है। यह बुजुर्गों में अधिक पाया जाता है।

    कारण:

    1. बड़ी उम्र
    2. मोटापा
    3. जोड़ो में चोट लगना
    4. जेनेटिक

    #इसमें घी, तेल, गेहूं, पुराने चावल, नारियल पानी, अनार, लहसुन खाना चाहिए। इसमें चना, मूंग की दाल, अरहर, करेला न खाए ।

    इसमे योगासन जैसे:

    1. भद्रासन
    2. पदमासन
    3. गोमुखासन कर सकते है।

    घरेलू नुस्खे साइकिल चलाना, मालिश करना, दूध में हल्दी मिलाकर रात मे पीना, जोड़ो पर ठंडे वा गरम पैक लगाना आदि।

    आयुर्वेदिक चिकित्सा:

    इसमे आयुर्वेद औषधि व पंचकर्म द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट्स के लाभ मिल सकता है-

    • रासनादि गुग्गुल
    • पंचकोल चूर्ण
    • दशमूलारिष्ट आदि

    6. GOUT:-

    यह त्वचा, मांस व छोटी सन्धियो/छोटे जोड़ो में होने वाली बिमारी है। इस व्याधि में छोटी सन्धियो/छोटे जोड़ में सूजन व दर्द होता है। दर्द होने का कारण सन्धियो का टेढ़ा होना है। यह रोग पैर / हाथ की अंगुलि से होना शुरू होता है। यूरिक एसिड के बढ़ जाने से यह बिमारी होती है।

    कारण:

    1. दही, दाल का अधिक सेवन
    2. दिन में ज्यादा सोना
    3. ज्यादा सवारी करना, चलना
    4. चोट लगने से
    5. भूखा रहना व क्रोध करने से
    6. ज्यादा खट्टा, नमकीन, शराब का सेवन करने से

    लक्षण:

    1. शुरू मे व्यक्ति को चोट लगने पर बहुत दर्द होता है।
    2. सन्धियो मे बार- बार दर्द होता है।
    3. खुजली महसूस होती है।
    4.  त्वचा का रंग काला होने लगता है।
    5.  त्वचा में जलन होना।
    6.  आलस का होना।
    7. सन्धियों में सूजन होकर उसका कभी बढ़ जाना कभी कम होना शरीर में सिकुड़न होना

    आयुर्वेदिक चिकित्सा:

           आयुर्वेदिक औषधियों और पंचकर्म से इसमें लाभ मिल सकता है। आयुर्वेद में योगों के बारे में बताया गया है-

           जैसे-

    • वात रक्तान्तक रस
    • प्रवाल पंचामृत
    • अमृता गुग्गुल
    • शतधौत घृत लेप

    घरेलू नुस्खे:

    प्रोटीन वाली चीजें न खाना, जैसे- बैसन, गोभी, बैंगन, मशरूम व दाल को कम मात्रा में पतली दाल को रोज न खाए। घर में बनाई जाने वाली कड़ी को भी न खाए क्योंकि वह बेसन से बनती है और बेसन चना दाल से जिसमे प्रोटीन ज्यादा होने से यूरिक एसिड को बढ़ाता है।

    दिनचर्या व ऋतुचर्या का पालन करना चाहिए। पुराने गेहूं व जौं, शाली व साठी चावल का सेवन करना चाहिए।

    7. Fibromyalgia (फाइब्रॉम्याल्जिया ) :-

    वह रोग जिसमें मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द उत्पन्न होता है उसे फाइब्रॉम्याल्जिया कहते हैं ।

    कारण:

    1. शारीरिक चोट
    2. सर्जरी 
    3. संक्रमण 
    4. मनोवैज्ञानिक तनाव

    लक्षण:

    1. थकान महसूस होना 
    2. पेट के निचले हिस्से में दर्द या ऐंठन का अनुभव होना 
    3. नींद के समस्या होना
    4. जबड़ों में दर्द और जकड़न 
    5. तनाव 
    6. चिंता

    बचाव :

    1. पर्याप्त नींद लें 
    2. संतुलित आहार खाएं 
    3. नियमित व्यायाम करें

    आयुर्वेदिक इलाज :

    फाइब्रॉम्याल्जिया के रोगियो के लिए आयुर्वेद में महायोगराज गुग्गल , योगराज गुग्गल , महावातविध्वंस रस , प्रवाल पिष्टी , स्वर्ण माक्षिक भस्म , गोदंती भस्म . महारास्नादि क्वाथ , चद्रप्रभा वटी , विषतिंदुक वटी जैसी अत्यंत गुणकारी औषधियां उपलब्ध है।

    8. Degenerative disc ( अपक्षयी डिस्क ):-

    Degenerative disc ‌‌‍‍को आपकर्षक कुडंल रोग भी कहा जाता है । रीड की हड्डी में मौजूद एक या एक से ज्यादा डिस्क के कमजोर होने पर यह स्थिति उत्पन्न होती है । डीडीडी कोई बीमारी नहीं है बल्कि समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ने वाली स्थिति है यह किसी चोट या किसी अन्य कारण से हो सकती है |

    कारण:

    1. बढ़ती उम्र के साथ अधिक बल वाला काम करना 
    2. चोट लगने से

    क्या खाएं :

    • घृत
    • लहसुन
    • अनार
    • दूध का सेवन करें

    घरेलू उपाय :

    मालिश करना , दूध में हल्दी मिलाकर पीना

    आयुर्वेदिक इलाज :

    इसमें आयुर्वेद औषधि व पंचकर्म द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट के लाभ मिल सकता है –

    1. महायोगराज गूग्गल 
    2. पंचकोल चूर्ण 
    3. त्रिफला घृत 
    4. महानारायण तेल से अभ्यंग

    9. Osteoporosis ( ऑस्टियोपोरोसिस ) :-

    इस बीमारी में हड्डी कमजोर हो जाती है जिससे कुल्ले, रीड की हड्डी और कलाई में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ रह जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियां अंदर से खोखली हो जाती है उनके टूटने और फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है यह बीमारी 50 की आयु में बढ़ जाती है जिसमें मनुष्य की बॉडी मास लगातार घटने लगता है। महिलाओं में यह बीमारी पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। 

    कारण:

    1. भोजन में कैल्शियम की कमी के कारण
    2.  भरपूर मात्रा में पोषण ना लेने पर 
    3. हार्मोन असंतुलन के कारण
    4. विटामिन डी की कमी के कारण 
    5. स्टेरॉयड व हारमोंस की दवाई लेने से 
    6. थायराइड के कारण 
    7. आलस के कारण

    लक्षण :

    • जोड़ों में दर्द होना
    •  हड्डियों में फ्रैक्चर हो जाना 
    • पीठ में दर्द खड़े होने और बैठने में परेशानी होना 
    • कमजोरी या आसानी से थक जाना
    •  झुका हुआ आसन

    आयुर्वेद में उपचार :

    1. स्नेहन कर्म ( मालिश करना )
    2.  दशमूल तैला
    3. महानारायण तैला
    4. बस्ती कर्म (एनीमा )

    आयुर्वेदिक इलाज :

    1. प्रवाल पिष्टी 
    2. लाक्षा गुग्गुलु
    3.  महायोगराज गुग्गुलु 
    4. दशमूल कवाथ

    करने योग्य :

    शरीर का अतरीक्त वजन कम करें, नियमित व्यायाम करें, तनाव से बचें । जैसे फल खाएं अंगूर – अनार और आम , जोड़ों के लचीलापन से में सुधार के लिए आसन करें , अपने आहार में कुल्थ , शुथि, कुष्मांडा को शामिल करें, धूम्रपान और शराब पीना छोड़ दें ।

    मत करो :

    अधिक ना चले , अधिक व्यायाम ना करें , नमकीन या तीखा भोजन ना खाएं , काफी का अधिक सेवन ना करें ।

    10. PIVD ( herniated disc) :-

    प्रत्येक डिस्क में केंद्रीय नरमे हिस्सा और बाहरी रबड़ वाला हिस्सा होता है । जब यह नरम आंतरिक भाग किसी बाहरी या आंतरिक कारण के कारण बाहरी रबर वाले हिस्से से बाहर निकल जाता है तो इससे हर्नियेटेड या स्लिप्ड डिस्क या प्रोलैप्सड इंटर वर्टेब्रल डिस्क कहा जाता है।

    कारण:

    1. अधिक बार उठाना 
    2. अधिक वजन उठाना 
    3. ओस्टियोपोरोसिस

    आयुर्वेद चिकित्सा :

    इसमें आयुर्वेद औषधि वह पंचकर्म द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट के लाभ मिल सकता है –

      1. त्रयोदशंग गुग्गुलु
      2. पंचकोल चूर्ण
      3. दशमूलारिष्ट
      4. महानारायण तेल से अभ्यंग 
      5. नाड़ी स्वेद
      6. वस्ति

    घरेलू नुस्खे :

    1. मालिश करना 
    2. दूध में हल्दी मिलाकर पीना 
    3. आराम करना

    क्या खाएं :-

    1. घृत
    2. फल 
    3. दूध का सेवन करें

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